ऊँचे कोटडा वाली चामुंडा माँ के दर्शन से जो दम्पति को संतान प्राप्ति नहीं है उसके घर में भी संतान प्राप्ति हो जाती है,

हमारे देश में भगवान के कई अलग-अलग मंदिर हैं, हर मंदिर में भक्त भगवान की पूजा करने आते हैं और भगवान हर भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं। मां चामुंडा खुद एक ऊंची कोठरी में बैठी हैं।
माना जाता है कि एक ऊंचे किले में माता चामुंडा का मंदिर कई पर्चों और कई कहानियों से जुड़ा हुआ है। इस प्रकार भक्त स्वयं विराजमान मां चामुंडा को एक ऊंचे कमरे में देखकर अपने जीवन में धन्य महसूस करते हैं और माता चामुंडा उनके जीवन को सुख और शांति से भर देते हैं।
इस मंदिर में माता चामुंडा के दर्शन करते ही सभी भक्तों के दुख दूर हो जाते हैं और इस चामुंडा माता मंदिर में कई भक्त मन्नत मानते हैं और जब भक्तों की मन्नत पूरी हो जाती है, तो भक्त मंदिर में आते हैं और माताजी को त्रिशूल चढ़ाते हैं। इसलिए इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता चामुंडा के दर्शन करने आते हैं।
चामुंडा माताजी सभी भक्तों के दुखों को दूर कर अपने जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। चैत्र के महीने में पूनम के दिन ऊंचे किले में चामुंडा माता के दर्शन के लिए भक्त बड़ी संख्या में मंदिर में आते हैं। चामुंडा माता के इस मंदिर में संतानोत्पत्ति में विश्वास रखने वाले सभी भक्तों को भी संतान प्राप्ति का सुख मिलता है।
माँ चामुंडा का मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र के तलाजा महुआ रोड पे समंदर के पास आया है